Skip to main content

ऑक्शन के तीसरे राउंड में बिके गेल ने अपने दुसरे आईपीएल मैच में ही शतक जमाया।

यूनीवर्स बॉसके नाम से मशहूर कैरेबियाई क्रिकेटर क्रिस गेल को 2011 के आईपीएल ऑक्शन में भी किसी ने नहीं खरीदा था और 2018 के ऑक्शन में भी लगभग अनसोल्ड रह गए थे, वो तो भला हो विरेन्द्र सहवाग और प्रीति जिंटा का जिन्होने आईपीएल के सिक्सर किंग को अपनी टीम में शामिल किया नहीं तो इंडियन प्रीमियर लीग में सबसे ज्यादा मनोरंजन करने वाले खिलाड़ी से आईपीएल फैंस दूर रह जाते।  
2011 में आधे आईपीएल के खत्म होने के बाद चोटिल खिलाड़ी की जगह रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर की टीम में शामिल हुये गेल ने ऐसा तूफान मचाया कि पुरी दुनिया देखती रह गयी। टूर्नामेंट के बीच में आने के बाद भी नाहीं सिर्फ ऑरेंज कैप जीता बल्कि अपनी टीम को प्लेऑफ में पहूँचाया। उस आईपीएल में गेल ने सभी टीमों को ये महसूस कराया कि गेल को न खरीदकर कितनी बड़ी गलती की थी उन्होंनें।
2018 के आईपीएल ऑक्शन में भी न तो पहले राउंड में न ही दूसरे राउंड में क्रिस गेल को खरीदा गया लेकिन आखिरी राउंड़ में पंजाब की टीम ने उन्हें शामिल किया। पहले दो मैच में बेंच पर आराम कर रहे गेल को शायद लगा होगा कि कहीं इस बार आईपीएल में उन्हें अपना जलवा दिखाने का मौका ही ना मिले लेकिन पंजाब के कोच विरेन्द्र सहवाग ने तूफानी बल्लेबाज गेल को तीसरे मैच में शामिल किया जिसका जवाब गेल ने अर्धशतक के साथ दिया और अगले मैच में अपनी जगह पक्की की।

अब पंजाब का अगला मैच मजबूत गेंदबाजी वाली हैदराबाद से था, गेल और अच्छे फॉर्म में चल रहें के एल राहूल पारी की शुरुआत करने आए उसके बाद जो हूआ उसने 2011 की याद दिला दी। गेल ने 11 गगनचूंबी छक्के लगाते हुये 103 रनों की बेहतरीन वापसी की। टी-ट्वेंटी के नंबर एक गेंदबाद राशिद खान को लगातार चार छक्के लगाकर गेल ने ये साबित कर दिया कि दूनिया का कोई भी गेंदबाज उनके सामने कुछ नहीं। उन्होंने एक बार फिर अपने बल्ले से आलोचकों के साथ साथ दूसरी टीमों के मैनेजमेंट को भी सोचने पर मजबूर किया। अब शायद ही यूनीवर्स बॉस को पंजाब की टीम आखिरी ग्यारह से बाहर करने की सोचेगी।    

Comments

Popular posts from this blog

कितना महत्वपूर्ण है सलमान का जेल में नाश्ता न करना

पिछले 2,3 दिनों के खबर पर अगर नजर डाले तो सलमान खान ही दिख रहें है। मिजोरम के एनआईटी कॉलेज में एक छात्र की जान कॉलेज के खराब खाने से चली गयी, वहा के छात्र इस पर धरने पर बैठे है। इसकी खबर कितनों ने दिखाई। किसानों को उनके आलु के दाम ठीक से नहीं मिल पा रहे कहां पढ़ लिया आपने। पेट्रोल के दाम कई जगहों पर 80 के पार चले गये, इस पर कितने बहस सुन लिए या लेख पढ़ लिए। जो गलती हमने श्री देवी जी के देहांत को कवर करने में की, वहीं गलती आज फिर दोहरा रहे है। क्या सलमान एक आम इंसान की तरह जेल में रहने पर अपने आने वाली फिल्मों में वही एक्शन और स्टाइल नहीं दोहरा पाएंगे। मैनें पहले भी लिखा है और आज भी लिख रहा हु। मीडिया से ज्यादा इसमें हमारी गलती है, हम देखते ही क्युं है ऐसी खबरों को। क्यों जरुरी है ये जानना कि सलमान जेल में कैसे बाथरुम का प्रयोग कर रहे हैं। हमें फर्क इस बात से पड़ना चाहिए कि संसंद का काम इतना कम क्यों हुआ है। एक न्युज पोर्टल के मुताबिक पिछले 18 सालों में सबसे कम काम इसी बजट सत्र में हुआ है। “ पीआरएस लेजिस्लेटिव रिर्सच ” (जो विधायी कार्यों के सोध से जुड़ी संस्था है) ने बताया कि दो ...

क्या ये गंभीर और युवराज के लिये आखिरी आईपीएल है?

अगर गौतम गंभीर और युवराज सिंह आपके पसंदीदा क्रिकेटर है तो इस आईपीएल उनको अच्छे से देख लीजिए क्या पता ये साल उनका आखिरी सीजन हो। राष्ट्रीय टीम में सालों से बाहर चल रहें दोनों ही खिलाड़ी इस आईपीएल में अपने फॉर्म से जुझ रहें है। ऐसा कहा जाता है कि हर खिलाड़ी का एक वक्त होता है और शायद अब इन सीनियर खिलाड़ीयों का वक्त चला गया है। अपने समय में अच्छे अच्छे गेंदबाजों के छक्के छुड़ाने वाले युवी आजकल आईपीएल टीम के लिए बेंच गर्म कर रहें है। दो वर्ल्ड कप फाईनल के हीरो गौतम गंभीर भी अंतिम एकादश में जगह बनाने मे नाकाम रहें है। कोलकाता को दो बार चैंपियन बनाने वाले कप्तान का टूर्नामेंट के बीच में कप्तानी छोड़ते ही कयास लगाए जाने लगे थे कि अब शायद आईपीएल के इतिहास में पहली बार गौतम गंभीर को आखिरी ग्यारह में शामिल नहीं किया जाएगा। गंभीर एक सूलझे हुये खिलाड़ी है और जैसे ही उन्हें ये लगा कि अब उनकी जगह टीम में नहीं बनती है तो वो क्रिकेट को अलविदा कहने में देर नहीं करेंगें। कुछ लोगों का मानना हैं कि बल्लेबाज विरेन्द्र सहवाग, सौरव गांगुली और राहुल द्रविड़ में काफी क्रिकेट बाकि रह गया। समय से पहले ही स...

लोकतंकत्र में क्यों अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोट रहें है हम।

कुछ लोगों के मुताबिक 2014 में जब चुनाव हुए तब भारत को एक ऐसा प्रधानमंत्री मिला जिसकी खोज हम सालों से कर रहें थे। ऐसा प्रधानमंत्री जो देश से ज्यादा विदेशों में रहते है और जिनको फोटो खिचवाना पंसंद है। इसका उदाहरण हम सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडिवो में देख चुके है। ऐतिहासिक जीत के बाद नई सरकार ने कई नये फैसलै लिए। कुछ फैसलों से जनता को परेशानी भी हुई। चाहे वो अचानक से नोटबंदी हो या जीएसटी। नये सरकार के खिलाफ अभी तक घोटालों के गंभीर आरोप तो नहीं लगें है लेकिन इनको एक समुदाय के प्रति पक्षपात करने वाली पार्टी कहा गया है। कुछ दिनों पहले कैम्ब्रिज एनेलेटिका नाम की कंपनी के खिलाफ लोगों के निजी डेटा चुरा कर गलत तरीके से चुनावी समीकरण बदलने के आरोप लगे थे। जिस तरीके से भारतीय मीडिया पिछले कुछ सालों से चल रहीं है ये कहना गलत नही होगा कि कहीं न कहीं ये चुनावी प्रोपेगेंडा के तहत काम कर रही है। जेएनयु वाले मसले को जिस तरह से कवर किया गया सिर्फ देश ही नही पुरे विश्व में गलत संदेश पहुचां। लोकतंत्र की सबसे खुबसुरत बात है अभिव्यक्ति की आजादी। हमारे देश में अलग-अलग विचारधारा के लोग रहते है फिर भी ख...