देश में
हर दिन अगर बच्चे पैदा होते है तो हर रोज रेप भी होते है। ऐसा क्युँ है कि हैवानियत
और दरिंदगी ने हमारे देश के लोगों को जकड़ लिया है। हर रोज हम आगे बढ़ने की कोशिश
कर रहे है और ऐसे असमाजिक तत्व ऐसी हरकत कर विश्व में देश की छवि खराब करने में
कोई कसर नहीं छोड़ रहें हैं। अगर कोई ऐसा करता है तो उसे ऐसी कड़ी सजा देनी चाहिए
की कोई ऐसी हरकत करने की सोचे भी नहीं। मैनें इससे पहले एक लेख में लिखा था कि
क्या आपको ऐसे अपराधों पर गुस्सा नहीं आता क्या? लेकिन आज का लेख इससे थोड़ा उलट है।
ये
लिखने के लिए मुझे भी कई लोग गलत कहेंगे लेकिन पुरा देश एक पहलु देखकर अपनी
मानसिकता बना चुका है ऐसे में दुसरे पहलु की बात करना गलत नहीं होगा। एक जम्मू के
मित्र जो मेरे पड़ोसी है, से बातचीत करते एक नया खुलासा सामने आया। उनके मुताबिक
कठुआ में रेप हुआ ही नहीं। उनके मुताबिक 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए ये
साजिश की गयी है। दरअसल उनका गॉव कठुआ से ज्यादा दुर नही और उनके गॉव के दोस्त से
वार्तालाप के दौरान उन्हें पता चला कि वहा रेप नहीं हुआ है हालांकि बच्ची की कत्ल
एक साजिश ती तहत हुई है जिसमें राजनीति और सामुदायिक रंजिश शामिल है। मैं ये नहीं
कह रहा कि ये सच है लेकिन कहीं सच में बलात्कर ना हुआ हो और एक साजिश की तौर पर
आरोपियों को फसाया जा रहा हो। क्योंकि पुरी गॉव क्यो आरोपी को बचाने में लगी है,
वो भी तो हमारी तरह इंसान ही है उन्हें भी ये अपराध अक्षमाशील लगता होगा। क्यु
आरोपियों ने ये कहां कि वो नारको टेस्ट के लिये बेहिचक तैयार है? हमने तो उनको दोषी
मान लिया है और उनके लिये मौत की सजा की मांग कर रहे है। अगर एक प्रतिशत भी ये
चांस है कि वो दोषी नहीं है और पुरा देश उनके मौत की मांग कर रहा है तो बहुत गलत
हो रहा है। जरा खुद को उनकी जगह सोचकर देखिए।
हम
भारतीय भी बड़े भोले होते है कितनी जल्दी मीडिया पर विश्वाश कर लेते है। ये बहुत
अच्छी बात है कि किसी अच्छे कारण के लिए देश के विभिन्न समाज के लोग एक साथ मिलकर आवाज
उठा रहे हो। क्या पता हमें गलत जानकारी दी गयी हो? देश में हर रोज ये जघन्य अपराध होता है लेकिन क्या
आपने सोचा कि जम्मू-कशमीर के ही केस पर ही क्यों ध्यान दिया जा रहा है, आपके मन
में सवाल नहीं आया, मेरे मन में तो आया। क्यों किसी पीड़ित के असली नाम और फोटो को
दर्शाया गया, जबकि दुसरे मामलों में ये जल्दी नहीं होता। क्यों इस मसले में
हिंदु और मुस्लिम लाकर इसे राजनीतिक मुद्दा बनाया गया जिसमें प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी, कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल
समेत कई और नेता कूद पड़े।
इस
तरीके से इस खबर को दिखाने का मतलब कही लोगों के ध्यान से सरकार की नाकामी को
छुपाना तो नहीं था। देश के लोगों को हिंदु मुस्लिम में उलझाकर कश्मीर की गंभीर
स्थिती को दरकिनार करने की कोशिश तो नहीं की गयी। क्योंकि अगर ऐसा किया गया है तो
देश की बड़ी राजनैतिक पार्टीय़ाँ सफल हो गयी है। भले ही देश के अलग-अलग कोने से लोग
एक बच्चे के लिए न्याय मांग रहे हो लेकिन अगर ये सब एक फिल्म के कहानी की तरह लिखी
गयी है तो मेरी नजर से देश एक बार फिर हार गया है।
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