केपटाउन
में तीसरे टेस्ट में जो घटा, वो शायद आस्ट्रेलिया के लिए नयी बात नहीं है, इसलिए
अभी तक आईसीसी ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। अगर यही छेड़खानी पाकिस्तान,
बांग्लादेश, श्रीलंका या भारत के खिलाड़ियों ने की होती तो न जाने अभी तक लोगों ने
क्या क्या बातें शुरु कर दी होती। कुछ लोग तो ये तक कह बैठते कि इन खिलाड़ीयों पर
आजीवन प्रतीबंध लगा देना चाहिए।
एक बार
पुरे मामले पर नजर डाल लेते है। दक्षिण अफ्रीका दौरे पर गयी आस्ट्रेलिया फिलहाल
चार मैच का टेस्ट सीरिज खेल रहीं है। दुसरे टेस्ट तक सीरीज बराबरी पर थी, पहले मैच
में कंगारुयों ने बाजी मारी तो दुसरे टेस्ट मैच में प्रोटीज ने। तीसरे मैच में दक्षिण
अफ्रीका की बल्लेबाजी के दौरान आस्ट्रेलिया के सलामी बल्लेबाज कैमरॉन बैनक्रॉफट ने
गेंद के साथ छेड़खानी की जिसे क्रिकेट की भाषा में बॉल टैंपरिंग कहते है। अंपायर
से तो वो बच निकले लेकिन कैमरे से न बच सके।
मैच के
बाद हुई प्रेस वार्ता में कप्तान स्टीव स्मीथ के साथ उनहोनें अपनी गलती कबुली।
लेकिन जब कप्तान स्मीथ ने अपनी बात कही तब यह कोई विश्वाश नहीं कर पाया कि ये टीम
के लीडरशिप समुह का फैसला था जिस पर उनहोनें खेलने के पहले चर्चा किया था। पुरे
क्रिकेट जगत के लिए ये बात ताज्जुब करने वाली लगी। आस्ट्रेलियाई हरफनमौला खिलाड़ी
ने ये ट्वीट किया कि हो सकता है कि ये नौजवान खिलाड़ी को बचाने की एक पहल हो।
फिलहाल
कंगारु कप्तान स्टीव स्मीथ और उपकप्तान डेविड वार्नर ने अपने पद छोड़ दिए है।
क्रिकेट आस्ट्रेलिया ने दोनों ही खिलाड़ियों को एक मैच के लिए बैन भी कर दिया है। लेकिन
मसला ये है कि सच्चाई क्या है, क्या सच में इस घटना में लीडरशिप समुह शामिल है, अगर
है तो कौन कौन शामिल है?
देखने
लायक ये बात होगी कि आईसीसी किस तरीके से इस मामले को निपटाती है। क्योंकि अगर ये
काम किसी एशियाई खिलाड़ी ने किया होता शायद उसपर आईसीसी अपने मुकदमें दायर कर चुकी
होती। यही फर्क है एशियाई देशों में और बाकि देशों में।
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