क्रिकेट
मैदान पर शुक्रवार शाम को जो घटा वो शायद किसी रिंग के अंदर होता तो साराहनीए
होता। चाहे जो भी खेल हो उसे खेलभावना से ही खेलना चाहिए। दरअसल श्रीलंका में चल
रही निदाहास ट्राफी में एक समय ऐसा आया जब श्रीलंका और बांग्लादेश के खिलाड़ी आपस
में भिड़ गये। आर प्रेमदासा स्टेडियम में चल रहे मैच के आखिरी ओवर में बांग्लादेश
को जीत के लिए 12 रनों की जरुरत थी। बीसवें ओवर की दुसरी गेंद बाउंसर थी जिस पर मुस्तफिजुर रहमान रन आउट हो गए। लेग अम्पायर ने
इस गेंद को नो बॉल दी, लेकिन बॉलिंग छोर पर खडें अम्पायर ने नो बॉल
नहीं दिया । जाहिर हैं नो बॉल होती तो फ्री हिट तो मिलती ही और साथ में एक और अतिरित्क
गेंद भी मिलती। लेकिन ऐसा हुआ नहीं और बात मैच जीतकर फाईनल में खेलने की थी। ऐसे में
अम्पायर के नो बॉल न देने पर बांगलादेश के कप्तान शाकिब अल हसन नाराज हो गये और
गुस्से में खेल के बीच में ही अपने बल्लेबाजों को वापस बुलाने लग गये। कप्तान का
इशारा देख बल्लेबाज क्रीज छोड़कर जाने लगे।
माहौल
को गर्माता देख बांग्लादेश के कोच मैदान पर आ गए और अपने खिलाड़ियों को समझा कर
वापस खेलने के लिए तैयार कर उनको क्रीज पर खेलने के लिए भेज दिया। उधर कप्तान तीसरे
अम्पायर से उलझ गए और उनसे समझने की कोशिश करने लगे कि आखिर हुआ क्या और नो बॉल
क्यों नहीं दिया गया। हालांकि मामाला थोडी ही देर में ठंडा हो गया, और खेल शुरु हुआ।
उसके बाद महमुदुल्ला ने बेहतरीन बल्लेबाजी कर बांग्लादेश को रोमांचक मैच में एक
गेंद पहले छक्का मार कर जिता दिया।
अब बात
ये आती है कि क्या शाकिब अल हसन ने जो किया वो आईसीसी के कोड ऑफ कंडक्ट का उल्लंघन
नहीं है। और उस नए नियम का क्या जो 1 अगस्त 2017 से लागु किया गया था जिसके तहत अंपायर
को ये अनुमति दी गयी थी, कि अगर उन्हें ये लगता है कि किसी खिलीड़ी ने मैच के
दौरान गलत वयव्हार किया है तो वो उनपें तुरंत कारिवाई कर सकते है।
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