अगर आप
कोई सामुहिक न्युज की एप्लीकेशन खोलेंगे, तो न जाने कितने न्युज वेबसाईट अपनी
न्युज वहॉ बेच रहें होंगे। चाहे वो युसी न्युज हो, डेलीहंट हो या इनशॉर्टस, इन सभी
एप्स में हजारों वेबसाईटस अपनी अपनी खबर डालते है। हम सोचते है कि जितने ज्यादा वेबसाईटस
होंगे, उतनी ही ज्यादा खबर मिलेगी। दरअसल, हो ये रहा है कि खबर तो ज्यादा मिल रहीं
है लेकिन असली खबर नहीं मिल रहीं। मात्रा बढ़ाने के चक्कर में गुणवत्ता से समझौता
किया जा रहा हैं।
ये बात
मेरे दिमाग में क्यों आई? दरअसल बड़े दिनों
बाद आज एक पुराने सहपाठी को मेरी याद आई। हमदोनों कॉलेज में साथ थे, ज्यादा अच्छे
दोस्त तो कभी नहीं रहे लेकिन कभी-कभी काम की बातें कर लेते थे। फिलहाल वो एक अच्छी
सैलरी में एक न्युज वेबसाईट के लिए काम कर रहें है। बातों बातों में उनहोनें बताया
कि किस तरीके से न्युज के साथ समझौता किया जा रहा है। मुझे बताया गया कि कैसे
विराट कोहली के नए हेयरस्टाईल पर किए गये इनस्टाग्राम पोस्ट जैसे चीजों पर उसे
न्युज लिखनी पड़ती है। क्योकिं लोगों को यही पढना पसंद है। जब उसने ये बात बताई तब
मैने ध्यान नही दिया लेकिन जब मैं आज के लेख की सोच रहा था तब मैने सोचा कि आप सभी
को भी ये बात बता देता हुं।
मैंनें
ये न्युज कई वेबसाईटस पर देखी। हद तो तब हो गयी जब ये न्युज अखबार में देखने को
मिल गयी। अरे भाई जो भी हो एक नये हेयरस्टाईल की इनस्टाग्राम पोस्ट न्युज कैसे है।
साफतौर पर न्युज के स्तर में गिरावट देखी जा सकती है।
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